ऋषिकेश परमार्थ निकेतन में कौतिक इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल का आयोजन उत्तराखंड की फिल्मों, संस्कृति को बढ़ावा देने के साथ यहां की दिव्यता, भव्यता, प्राकृतिक सौन्द्रर्य से युक्त अनछुए स्थानों के दर्शन वैश्विक स्तर पर करवाने के लिये किया गया परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती वित्त, शहरी विकास एवं आवास, संसदीय कार्य मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल जी और कौतिक इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल एफटीआईआई के पूर्व छात्र राजेश शाह और राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता निर्देशक शालिनी शाह और अन्य विशिष्ट जनों ने दीप प्रज्वलित कर फिल्म फेस्टिवल का शुभारम्भ किया स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि उत्तराखंड अध्यात्म, आनन्द, शान्ति और शक्ति प्रदान करने वाली भूमि है। इस पावन धरती में भीतरी और बाहरी दोनों पर्यावरण को स्वस्थ, सुरक्षित और समृद्ध रखने की अपार क्षमतायें है। हमारा उत्तराखंड स्विट्जर लैण्ड भी है और स्पिरिचुअल लैण्ड भी है क्योंकि यहां पर माँ गंगा है और हिमालय भी है इसलिये यह पूरे विश्व को अपनी ओर आकर्षित कर सकता है। यहां पर हरित पर्यावरणीय पर्यटन विकसित करने की अपार सम्भावनायें है। स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि उत्तराखण्ड राज्य को स्वयं ईश्वर ने जल, वायु और पवित्र नदियों, पहाड़ों और जंगलों से समृद्ध बनाया है। यह नैसर्गिक समृद्धि, सुन्दरता और शान्ति, नई ऊर्जा और हरियाली से परिपूर्ण है इस समृद्धि के दर्शन पूरे विश्व को कराना अत्यंत आवश्यक है। कौतिक अन्तर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव के माध्यम से निश्चित रूप से उत्तराखंड की समृद्धि व संस्कृति को वैश्विक स्तर तक पहुंचाया जा सकता हैं। इस हेतु स्वामी राजेश शाह और शालिनी शाह को आशीर्वाद स्वरूप रूद्राक्ष का पौधा भेंट किया।शालिनी शाह जी ने कहा कि कौतिक अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव वर्ष 2017 में सुदूर कस्बे नैनीताल में फिल्मों को बढ़ावा देने के लिए कौतिक स्टूडेंट्स फिल्म फेस्टिवल की शुरुआत कर ‘कौतिक फिल्म फेस्टिवल’ के बीज रोपित किये गये थे। यह कौतिक अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव का 7वां संस्करण है जो परमार्थ निकेतन, ऋषिकेश में आयोजित किया जा रहा है।। हमारा सौभाग्य है कि हमें स्वामी के पावन सान्निध्य में 2 से 4 दिसम्बर तक इस अन्तर्राष्ट्रीय फेस्टिवल को परमार्थ निकेतन के सहयोग से संयुक्त रूप से मनाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ हमारे लिये परमार्थ निकेतन आना और यहां की आरती में सहभाग करना किसी फेस्टिवल से कम नहीं हैं।
भारत में प्रत्येक वर्ष 2 दिसंबर को ‘राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस’ के रूप में मनाया जाता है ताकि औद्योगिक आपदाओं के प्रबंधन और नियंत्रण को लेकर जन जागरूकता फैले। 2-3 दिसंबर, 1984 की रात को भोपाल गैस त्रासदी में जिन्होंनें अपनी जान गँवा थी उन सभी को आज की गंगा आरती में भावभीनी श्रद्धाजंलि अर्पित करते हुये स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि प्रदूषण पर नियंत्रण पाने के लिये हमें अपने अपने स्तर पर पौधों का रोपण करना होगा तथा सिंगल यूज प्लास्टिक के उपयोग को बिल्कुल बंद करना होगा तभी हम भावी पीढ़ी को एक स्वस्थ वातावरण प्रदान कर सकते हैं।

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