प्रार्थना, प्राणायाम, यज्ञ, योग दर्शन, वैदिक मंत्र उच्चारण, दर्शन, ध्यान, सत्संग व गंगा आरती के माध्यम से योगी आध्यात्मिक दिनचर्या को कर रहे आत्मसात

ऋषिकेश परमार्थ निकेतन में योग में फाउंडेशन कोर्स की शुरूआत हुई। इस कोर्स का उद्देश्य वैश्विक स्तर पर पेशेवर व प्रामाणिक योग प्रशिक्षकों को तैयार करना है। परमार्थ निकेतन में योग में फाउंडेशन कोर्स के माध्यम से भारतीय संस्कृति, दर्शन, पंचकोश सिंद्धान्त, सांख्य योग, समख्य दर्शन, पुरूष – प्रकृति, बंधन और मुक्ति, अष्टांग योग, हठयोग, योग के अनुप्रयोग, यौगिक आहार व जीवन शैली व समग्र स्वास्थ्य आदि का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। साथ ही योग प्रशिक्षक प्रार्थना, प्राणायाम, यज्ञ, योग दर्शन, वैदिक मंत्र उच्चारण, दर्शन, ध्यान, सत्संग व गंगा आरती के माध्यम से योगी यौगिक व आध्यात्मिक दिनचर्या को आत्मसात कर रहे हैं।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने विश्व के अनेक देशों से आये योग जिज्ञासुओं को योग को आत्मसात करने का संदेश देते हुये कहा कि योग अर्थात् ‘एक्य’ या ‘एकत्व’ व जोड़ना’ है, जो विभिन्न संस्कृतियों व राष्ट्रों को आपस में जोड़ता है।गीताजी में भगवान श्री कृष्ण ने कहा है योगः कर्मसु कौशलम् अर्थात योग से कर्मों में कुशलता आती है। व्यावाहरिक स्तर पर योग शरीर, मन और भावनाओं में संतुलन और सामंजस्य स्थापित करने का एक सर्वश्रेष्ठ साधन है विश्व के अनेक देशों से आये योगियों को योग के प्रसिद्ध ग्रंथ पतंजलि द्वारा रचित योगसूत्र एवं वेदव्यास द्वारा रचित योगभाण्य, नागेश भट्ट द्वारा रचित योग सूत्रवृत्ति आदि के माध्यम से योग की जानकारी प्राप्त करने का संदेश दिया।
स्वामी जी ने कहा कि योग के आठ आयामों के यम, नियम, आसन, प्रणायाम, धारणा, ध्यान, प्रात्याहार, समाधि के साथ जीवन के सभी आयामों से प्रकृति, पर्यावरण व अपने राष्ट्र की सेवा करें। योग के माध्यम से जीवन शक्ति एवं अपनी ऊर्जा को नियंत्रित कर उसे मानवता की सेवा हेतु समर्पित करें स्वामी ने कहा कि योग के माध्यम से आध्यात्मिक उन्नति, शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य के साथ पर्यावरण के स्वास्थ्य पर भी विशेष ध्यान दे क्योंकि हमारे आस-पास का पर्यावरण स्वस्थ व सुरक्षित नहीं होगा तो हम भी स्वस्थ नहीं रह पायंेगे। प्रदूषण एवं भागदौड़ भरी जिंदगी के कारण मन और शरीर अत्यधिक तनाव, रोगग्रस्त होते जा रहे हैं। व्यक्ति के अंतर्मुखी और बहिर्मुखी स्थिति में असंतुलन आ रहा है इसलिये मनुष्य और प्रकृति के बीच सामंजस्य है अत्यंत आवश्यक है। योग हमारी बदलती जीवनशैली में एक चेतना बनकर हमें जलवायु परिवर्तन से निपटने में भी मदद कर सकता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *