परमार्थ निकेेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने आज विश्व सामाजिक न्याय दिवस के अवसर पर कहा कि न्यायपूर्ण जीवन पाने का अधिकार विश्व में रह रहे प्रत्येक प्राणी को समान रूप से प्राप्त होना चाहिये और विश्व सामाजिक न्याय दिवस समानता के सिद्धान्त को प्रोत्साहित करने का ही प्रतीक है स्वामी ने कहा कि सामाजिक व्यवस्थाएं तभी अभेद बन सकती है जब समाज के हर व्यक्ति का उसमें योगदान हो। वैश्विक स्तर पर जितनी भी समस्यायें है उनका समाधान सामाजिक न्याय में निहित है। वैश्विक समाज में रह रहे हर प्राणी के साथ न्यायसंगत व्यवहार किया जाना अत्यंत आवश्यक है क्योंकि यही समाज को समृद्धि की ओर ले जाने के लिए भी आवश्यक है।
वैदिक काल में भारतीय समाज में हर प्राणी को समान अधिकार प्राप्त थे समय के साथ हमने उन व्यवस्थाओं को छोड़ दिया। वर्तमान समय में हमारा पहला कर्तव्य समाज में शांति बहाल करना होना चाहिए क्योंकि इसी से समाज का कल्याण हो सकता है स्वामी ने कहा कि सामाजिक न्याय हमारी वैदिक संस्कृति और भारत के संविधान की आत्मा है इसलिये हमें अपने-अपने स्तर पर सामाजिक न्याय की स्थापना के लिए आगे आना होगा क्योकि जो लोग सामाजिक न्याय के बिना अपना जीवन जी रहे हैं उनके लिये आजादी का कोई मतलब नहीं है। जब तक सभी के लिए समान न्याय नहीं होगा, तब तक हम नहीं कह सकते कि हम एक शान्तिपूर्ण समाज की स्थापना की ओर बढ़ रहे हैं स्वामी ने कहा कि जिस समाज में सभी को समान अधिकार मिलते हैं, वही समाज सभ्य और न्यायपूर्ण बन सकता है। वर्तमान समय में एक समुन्नत और संस्कारयुक्त समाज की स्थापना के लिये ऐसे ही कर्तव्य निष्ठ, सकारात्मक सोच और सेवाभावी नौजवानों की आवश्यकता है। उन्होंने देश के युवाओं का आह्वान करते हुये कहा कि समाज के सम्पूर्ण विकास के लिये प्रत्येक युवा को योगदान देना होगा।